मांग का नियम
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मैंने सोचा कि…
तेरा मेरा रिश्ता,
कीमत पूर्ति का है,
जिसमे मै बढूंगा,
तो तुम बढोगी,
मैं घटूंगा गर,
तुम घटोगी,
पर तुम पूर्ति न निकली…
ऊपर से मांग बन बैठी हो…
अब हम साथ कैसे चले…
कैसे मिले..?
मैं जाता हूँ उत्तर,
तुम दक्षिण चली जाती हो…
ऐसा करो कि तुम-
गिफिन वस्तु की मांग,
और मै उसकी कीमत बन जाता हूँ,
ताकि चल सके, हम साथ साथ..!!
लेखक:- कुमार मुकेश’अंश’
Sahi hai ….arth bina shastra ka sirf arth hi hai.
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जी बिल्कुल..
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Sunder rachna
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Thanks
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