न बस सको गर,
मेरी रूह में रूह मिलाकर,
तुम मदहोश आँखों से अपनी,
इक यादों का,
जाम पिला जाओ,
पहले नशे सी चढ़ो,
फिर आदत,
बुरी बनकर,
बरबाद कर दो हमें !!
न आ सको,
बन कर इश्क गर,
तुम इक,
लाइलाज बीमारी ही,
बन आओ,
कुछ सताओ,
कुछ रुलाओ,
थोड़ा सा हँसाकर,
ले डुबो हमें …!!
© Kumar mukesh’ansh’
Kyaa baat hai mukanshu ji…..gajab…..aisi bimaari jiska jkhm bhi tum aur marham bhi tum…….maang sadharan nahi hai…
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Gazab Dhah raho Sir! Congratulations for this beautiful piece..
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बहुत खूब।
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क्या बात है भाई 😊😊😊👌
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Thanks
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Happy new year mukesh ji…kahan gayab hain??
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जी आपको भी नववर्ष की बहुत शुभकामनाये,
पढ़ाई के चलते इस तरफ आना न हो सका!
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